Nojoto: Largest Storytelling Platform

बचपन भी कमाल का था खेलते खेलते चाहें छत पर सोयें य

बचपन भी कमाल का था खेलते खेलते चाहें छत पर सोयें या ज़मीन पर, आँख बिस्तर पर ही खुलती थी। #बचपन भी #कमाल का था #खेलते खेलते चाहें #छत पर #सोयें या #ज़मीन पर, #आँख #बिस्तर पर ही #खुलती थी।
बचपन भी कमाल का था खेलते खेलते चाहें छत पर सोयें या ज़मीन पर, आँख बिस्तर पर ही खुलती थी। #बचपन भी #कमाल का था #खेलते खेलते चाहें #छत पर #सोयें या #ज़मीन पर, #आँख #बिस्तर पर ही #खुलती थी।