मोहल्ला जलाना था, तो माचिस की क्या ज़रूरत थी, हमसे पुछते, हमने पांच रुपये की कलम से कैसे शहर जला डाला। - कुमार पांच रुपये की कलम #ताकत-ए-कलम #shatari