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मैंने किताबें जब-जब खोली-पढ़ी तब तब अपने को एक अबो

मैंने किताबें जब-जब खोली-पढ़ी 
तब तब अपने को एक अबोध बालक 
सा महसूस किया।
हर बार शब्दों के मायाजाल से कुछ नया और अनकहा निकल आता हैं 
बिल्कुल कोरा जिसे
 कभी न खोला गया हो,न पढ़ा गया हो। #books #new
मैंने किताबें जब-जब खोली-पढ़ी 
तब तब अपने को एक अबोध बालक 
सा महसूस किया।
हर बार शब्दों के मायाजाल से कुछ नया और अनकहा निकल आता हैं 
बिल्कुल कोरा जिसे
 कभी न खोला गया हो,न पढ़ा गया हो। #books #new