✍हे अभिनंदन✍ हे अभिनंदन! तुमको वंदन, शीश भारती का झुकने न दिया... घिरकर रिपुदल में भी तुमने, रणभेरी को रुकने न दिया...। दहाड़ शेर सी भरी जो तुमने, दूर तलक हमने थी सुनी... माँ के गौरव के बदले तुमने, अपनी खुद की मौत चुनी... हे अभिनंदन! तुमको वंदन... शीश भारती का झुकने न दिया... घिर कर रिपुदल में भी तुमने, रणभेरी को रुकने न दिया...। दाधीच प्रवीण शर्मा #NojotoQuote ✍हे अभिनंदन✍ हे अभिनंदन! तुमको वंदन, शीश भारती का झुकने न दिया... घिरकर रिपुदल में भी तुमने, रणभेरी को रुकने न दिया...। दहाड़ शेर सी भरी जो तुमने, दूर तलक हमने थी सुनी...