चहुँओर देख है आग लगी, मैं किसको आज बचाऊँ रे! या छोड़ दूं सबका साथ आज, और खुद हिं जल मर जाऊँ रे।। ये गीता है, वो कुरान है, ये अल्लाह वो भगवान है। इसकी मन्दिर, उसका मस्जिद, ये हिन्दू, वो मुसलमान है।। हो चिता मेरी, शमशान मेरा, हो कब्र तेरी, कब्रगाह तेरा। क्या गजब बनाई खाई ये, हो सूर्य मेरा और चाँद तेरा।। कौन काफ़िर है, कौन भक्त यहाँ, ये व्यथा कहाँ सुलझाऊँ रे! चहुँओर देख है आग लगी, मैं किसको आज बचाऊँ रे। या छोड़ दूँ सबका साथ आज और खुद हीं जल मर जाऊं रे।। मासूमों की लाशों पे मैंने, है देखी राजनीति होती। इंसानियत की है नींद उड़ी, हैवानियत पर मखमल सोती।। किसकी पूजा, किससे मन्नत, किस दर चीखूँ, किस दर भागूँ। है कौन सा रब, जो मेरा है, किससे मैं आज व्यथा बाँटूँ। है कहीं किसी को होश नहीं, किस किस को आज जगाऊँ रे! चहुँओर देख , है आग लगी, मैं किसको आज बचाऊँ रे।। या छोड़ दूँ सब का साथ आज, और खुद हिं जल मर जाऊं रे।। हर नुक्कड़ पे हैं खून मिले, किसके मजहब की बात कहूँ। दादरी, मुम्बई, या गोधरा को, किस जंग को मैं ज़िहाद कहूँ। दहशतगर्दी का धर्म क्या, जो कातिल है ,उसे दो सज़ा। इंसानियत का बस यही उसूल, है अल्लाह की भी ये रज़ा।। कुछ एक के कर्मों की खातिर, क्यों सबकी बलि चढ़ाऊँ रे! चहुँओर देख है आग लगी, मैं किसको आज बचाऊँ रे।। या छोड़ दूं सबका साथ आज और खुद हीं जल मर जाऊं रे।। चहुँओर देख है आग लगी, मैं किसको आज बचाऊँ रे! या छोड़ दूं सबका साथ आज, और खुद हिं जल मर जाऊँ रे।। हे-रा-हुल #nojotorohtak