सुविधाएं और भव्य इच्छाओं की पूर्ति शायद हमें ज़िन्दगी का यथार्थ मकसदों में कमियाब नहीं होने देती । वरना दिमाग को चलना और सही दिशा में चलना एक भिखारी को भी आता है। वहीं सर्व संपन्न होते हुए भी ज़िन्दगी से लोग परेशान रहने लगते है । सोच के देखिए कभी, कैसे एक ऑटोवाले का लड़का अफसर बन जाता है वहीं एक अफसर का बेटा नशे के आदी। कुछ तो फर्क है , कुछ पाने में और कुछ भी भोग ना छोड़ने में। इतनी मुश्किल भी नहीं ज़िन्दगी की यथार्थ समझने में क्युकी सब किस्मत में नहीं , कुछ तो है ज़माने में । #YQDidi #Yatharth #यथार्थ