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इश्क़ का दस्तूर है,हर शख़्स यहाँ मजबूर है..! दिल में

इश्क़ का दस्तूर है,हर शख़्स यहाँ मजबूर है..!
दिल में बसा रखा है जिसे,वो वास्तव में कोसों दूर है..!

चाहतों का झरना,भरना आँखों में ख़्वाब यूँ..!
मुख पे बना कर मसीहा,पीठ पीछे बड़ा गुरूर है..!

मोहब्बत की माया,पाया खोया क्या जाने..!
झुकना ही पड़े फिर,हर बात पे जी हुज़ूर है..!

जीना है मर के भी,मोहब्बत के शहर में..!
कुछ नहीं पर असर,आशिक़ी का जरूर है..!

मदिरा से भी भयंकर,बहका है बिन पिए ही..!
चढ़ गया है बढ़ कर,जो इश्क़ का सुरूर है..!

©SHIVA KANT
  #ishqkadastoor