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ओझल ओझल...धूमिल धूमिल ये छितिज दिखता हैं,ओ छितिज

ओझल ओझल...धूमिल धूमिल 
ये छितिज दिखता हैं,ओ छितिज भी दिखता हैं,
ना अंत का आरंभ दिखता हैं,
बस एक प्रारंभ दिखता हैं,
कठिनाइयों का बसेरा..
मन में दुःख बिरखता हैं...;
हर पल एक नई चाह लिए निखरता हैं..¡!
               _तृषा मधु
ओझल ओझल...धूमिल धूमिल 
ये छितिज दिखता हैं,ओ छितिज भी दिखता हैं,
ना अंत का आरंभ दिखता हैं,
बस एक प्रारंभ दिखता हैं,
कठिनाइयों का बसेरा..
मन में दुःख बिरखता हैं...;
हर पल एक नई चाह लिए निखरता हैं..¡!
               _तृषा मधु
sgtrisha2145

Trisha Madhu

New Creator