आज जब मेरी एक विद्यार्थी ने विद्यालय में यह बताया कि एक नामचीन अभिनेता जिनका नाम लेना जरूरी मैं समझता नहीं महिलाओं के परिधान में घूमते नज़र आ रहे हैं तो मैं दंग रह गया और सोचने पर विवश हो गया कि कितना विकास हमने वाकई कर लिया है। अब वो दिन भी दूर नहीं कि आज के लोग मरने से पहले भी विशेष अॉर्डर करते नज़र आएंगे कि मेरे मरने के बाद मैं थ्री पीस में हूँ,या स्पायरल होल वाली जींस हो इसका विशेष ख्याल रखा जाय। साथ ही अन्तिम विदाई देने वाले साथी भी इस बात पर विचार करते नज़र आएंगे कि उसने मरते वक्त ये पहना था तो मैं ये पहनूँ! बात अटपटी है मगर यथार्थ का दर्शन निहित है कि क्या आज के पोशाकें और उनके प्रति ऐसी पागलपन व विपरीत पोशाकों का सनकीपन विचारनीय नहीं है। कृपया अपनी समीक्षात्मक टिप्पणी रखें भारत भूषण पाठक'देवांश'🙏🌹🙏 ©Bharat Bhushan pathak #पोशाक भाग-५