में जो कहता हूं वो शब्द मेरे हैं ये जबां किसी के इशारों पर नहीं खुला मैंने बस एक राह चुनी है खुद की में किसी के नक्से कदम पर नहीं चला जी हुजूरी की उमीद मुझसे ना रखो में किसी के रहमो करम पर नहीं पला विचारों में भिन्नता जरूरी है मेरे भाई बिन कांटो के कोई गुलाब नहीं खिला मंटो के बिचारों को छूने की कोशिश में जो कहता हूं वो शब्द मेरे हैं ये जबां किसी के इशारों पर नहीं खुला मैंने बस एक राह चुनी है खुद की में किसी के नक्से कदम पर नहीं चला जी हुजूरी की उमीद मुझसे ना रखो