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सोचते हुए तुम्हें सुबह से शाम और शाम से रात हो जा

सोचते हुए तुम्हें 
सुबह से शाम और शाम से रात हो जाती है
फिर मेरे लफ्ज अल्फ़ाज़ बनके गुनगुनाती है
इस तरह करते करते 
          हर लम्हा लम्हा तेरी ही बात बन जाती है

©Im B karn( अल्फ।ज) #alfaj#din#rat#laj

#Karwachauth
सोचते हुए तुम्हें 
सुबह से शाम और शाम से रात हो जाती है
फिर मेरे लफ्ज अल्फ़ाज़ बनके गुनगुनाती है
इस तरह करते करते 
          हर लम्हा लम्हा तेरी ही बात बन जाती है

©Im B karn( अल्फ।ज) #alfaj#din#rat#laj

#Karwachauth