White 212 212 212 212 खिलबते - खास की रात होती रहे लज्जते - वस्ल की बात होती रहे तन सेतन का मिलन हो न पाए भले प्यार की बस ये बरसात होती रहे ज़िन्दगी में न हो हिज्र- ए- गम कभी आरजू है , मुलाकात होती रहे जंग ओ इश्क में सब है जायज यहाँ दुश्मनो पर ये आघात होती रहे दिल मे हो बहारें जुबाँ पर ग़ज़ल ओ जहाँ की खिलाफात होती रहे सिलसिला बसयूं चलता रहे उम्रभर उस खुदा की करामात होती रहे ( लक्ष्मण दावानी ✍ ) 27/6/2017 ©laxman dawani #love_shayari #Love #Life #romance #Poetry #gazal #experience #poem #Poet #Knowledge