संस्कृत की नवजागरण का खतरा शीर्षक से प्रकाशित आलेख में हृदय नारायण दीक्षित ने देश में एक बड़े जन समुदाय के अंत में सूर्युन्ने जीत षड्यंत्र के अंदर भारी गई ही नेता के ग्रंथ और उसके सूत्र से परिचय कराया इसमें कोई संदेह नहीं है कि सेकुलरिज्म यानी प्रतीक्षा की कितनी रिपोड़ता व्याख्या भारत में हुई है उतनी कहीं अन्यत्र नहीं होगी लेखक ने उचित ही कहा है कि हिंदू विरोध को ही एक प्रकार से पंथनिरपेक्ष का पर्याय मान लिया गया वह स्वतंत्रता के बाद से ही यह परिपाटी चलती रही है जिस प्रकार का औपचारिक और भी प्राप्त हो गया है अच्छी बात यह है कि नरेंद्र मोदी के निर्देशक ने मोदी सरकार ने इस परिपाटी को तोड़ने का प्रयास किया है सरकार ने इन प्रयासों को उत्तर और गति मिलेगी जब इतिहास का भी सही संदर्भ में पुनर लेखक होगा इसका कारण यही है कि अभी हमें जो थोपा हुआ इतिहास पढ़ाया जाता है वह पर आ जाए और हताशा का इतिहास है जबकि वास्तव में ऐसा नहीं है यह इतिहास तो कुछ विद्वानों द्वारा अपनी वैचारिक प्रतिबद्धता लिखा गया जो भारत का महान इतिहास से मेल नहीं खाता ©Ek villain #nice सरकार का प्रयास #soulmate