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सिंदूर की कहानी, है जानी पहचानी..! कोई समझे इसको क़

सिंदूर की कहानी,
है जानी पहचानी..!
कोई समझे इसको क़त्ल अरमानों का,
कोई समझे इश्क़ की पेशानी..!
अनजान सफर पर बनना,
हमसफ़र तक की ये प्रेम निशानी..!
अंदाज़ा क्या लगाओगे,
इस सिंदूर की कीमत का..!
किसी को मिल गई ख़ुशियाँ सारी,
किसी की ख़त्म हो गई जवानी..!
कोई बना इसके लिए बज़ीराओ,
कोई बनी सिन्दूर के लिए मस्तानी..!
इश्क़ का रंग लाल सिन्दूर से,
इसके सब दीवाने और दीवानी..!
यही है नग़मा प्यार का,
यही है मौजों की रवानी..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #Chhuan #sindoor