श्रद्धा और आस्था का केंद्र है य जहा महाकुंभ में स्नान का बहुत महत्व बताया गया हैकहते हैं यहां अमृत की कुछ बूंदें गिरने के कारण यह जगह पवित्र हो गई थी जहां जहां अमृतकी बूंदे गिरी थी वहां वहां यह कुंभ स्नान का आयोजन होता हैऔर उसमेंमहाकुंभ में जो ऋषि महात्मा पर्वत कंदराहों में गुफाओं में जो तपस्यारत होते हैं वह स्नान करने आते हैं और देवता भी धरती पर किसी ना किसी रूप में आकर स्नान करते हैं और वहां का वातावरण भक्तिमय हो जाता है इसी आस्था को मन में रखकर दूर-दूर से लोग स्नान करने आते हैं कुम्भ मेले में केवल यह आस्था की बात है रही बात पाप धोने की तो पाप तो हर इंसान के साथ खुद मैं खुद चला जाता है क्योंकि जब तक मन का मेल नहीं धुलता तब तक कुछ नहीं किया जा सकता केवल उन तपस्वियों के दर्शन और उनके सात क़दम चलने से अपने आप को धन्य मानते हैं वो तपस्वीजो निस्वार्थ भावना से तपस्या कर भगवान की भक्ति में लगे रहते हैं उनके चरण रज मिल जाती है और उनके दर्शन हो जाते हैं रही बात कोरोना की तो आजकल लोगों के मन से डर निकल गया है वोकहते है कि मरना तो ऐसे ही है तो तीर्थ स्थान पर मरेंगे तो मोक्ष तो मिलेगा क्योंकि जिस तरह के हालात अभी देखे गए चुनाव में भीड़ हो रही थी और जैसे चुनाव खत्म होते ही फिर से कोरोना का हाज़िर हो जाना लोगों में यह धारणा भी बन गई हैं कि कोरोना के नाम पर कितनी ही जान जा रही है अभी तो वैक्सीन के बारे में भी लोगों को झिझक महसूस हो रही है कि लगाए कि नहीं जो जागरूक है वो तो लगवा रहे है और दूसरे बहुत कम अब इस मानसिकता से ग्रस्त व्यक्ति को कैसे समझाए और इस बात का ज़िम्मेदार कौन है पर जहां सुनती हूं बस यही बात कही जाती हैं और क्या कहें में तो खुद परेशान हूं बस भगवान से प्रार्थना है कि लोगों में जागरूकता फेले और घर में रहें सुरक्षित रहें नियमों का पालन करें और खुद का और दूसरों का भी ख्याल रखें ©Chandrawati Murlidhar Sharma महाकुंभ सनातन धर्म की आस्था का केंद्र है पूरा पढ़े #विचार #कोरोना से कैसे बचें #MahaKumbh2021dhyan mira Sudha Tripathi