साँझ होने को आई है, फिर क्यू बैठे हो यूँ मन को बेचैन किए,, खिड़कियां खोल के तो देखो ठंडी हवाएं सुकून का पैगाम लाई है,, रात होने को आई है, फिर क्यू बैठे हो यूँ तन्हाई भरी बाते लिए,, देखो जरा आसमान को तारे कह रहे हैं आके बांट लो हमसे अपनी सारी तन्हाई... प्रज्ञा पांडेय..... #NATURElov #nojotolov #merikalamse ✍️