अंत भी तुम ही हो तुम ही हो आरंभ धरा से गगन तक तुम ही हो छितिज के छोर पर तुम ही हो आदी भी तुम हो ,अनादि भी तुम हो सती की शक्ती हो ,तुम ही हो शुभारंभ शिवा#