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मैं भाव सूची उन भावों की,जो बिके सदा ही बिन तोले।

मैं भाव सूची उन भावों की,जो बिके सदा ही बिन तोले।
तन्हाई हूँ हर उस खत की जो पढ़ा गया है बिन खोले।।
हर आँसू को हर पत्थर तक पहुँचाने की लाचार हूक।
मैं सहज अर्थ उन शब्दों का जो सुने गए हैं बिन बोले।।
जो कभी नही बरसा खुलकर हर उस बादल का पानी हूँ।
लव कुश की पीर बिना गाई सीता की रामकहानी हूँ।

©प्रभाकर अजय शिवा सेन
  मैं भाव सूची उन भावों की।

मैं भाव सूची उन भावों की। #Poetry

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