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जीवन के रण में, कष्टों के क्षण में, मैं खड़ा अकेला

जीवन के रण में,
कष्टों के क्षण में,
मैं खड़ा अकेला।
हर हार पर टूटता मैं,
हर भार से झुकता मैं,
मैं खड़ा अकेला।
अश्रु से नेत्र लाल हुए,
संघर्षों से बेहाल हुए,
मैं खड़ा अकेला।
खुद को सहेजा,
खुद को संभाला,
जीवन से पूछा,
रण में उतरे?
तुम परीक्षाओं के साथ आओ,
लड़ने को हूं तैयार,
मैं खड़ा अकेला।

©Rudeb Gayen
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