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प्रगति मार्ग पर जब हो बढ़ना। संघर्षों के पर्वत चढ़

प्रगति मार्ग पर जब हो बढ़ना।
संघर्षों के पर्वत चढ़ना।।
मूलमंत्र होने को  विकसित।
प्रीत बीज हो हरदम पुष्पित।।
प्रगतिशील तो  देश वही है।
रहना गति में यंत्र सही है।।
जहाँ भेद है कोई करता।
सदा पराजय सोई वरता।।
मनुज वो होता प्रगतिवादी।
विवाद न जिसका न प्रतिवादी।
लक्ष्य साथ तुम बढ़ते रहना।
प्रगति यही है सबका कहना।।
काल कभी भी ना है झुकता।
प्रगति चक्र इसका ना रुकता।।
सफल मार्ग जब हो चुनना।
नवल इतिहास तब है बुनना।।

©Bharat Bhushan pathak
  #nojohindi#nojotopoetry#nojohindishayri#chhandgyaan#चौपाईछंद
चौपाई विधान – एक चौपाई दो चरणों की होती है
मात्रा भार 16 16 पर यति। चौपाई की अर्धाली और चरणांत में समान तुकांत । ।
चौपाई की अर्धाली और चरणांत का समापन 2 2 से 1 2 से या 1 1 1 ।

प्रगति मार्ग पर जब हो बढ़ना।
संघर्षों के पर्वत चढ़ना।।
मूलमंत्र होने को  विकसित।

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