सुधरती नही तबियत किसी दवा से.. लगता हे इश्क के बीमार हो गए.. फकत एक इशारा ही काफी है तेरा.. बेवजह अखबार के इश्तिहार हो गए.! करीब आ एक बार देख तो जरा.. बिन तेरे हाल कैसे दुश्वार हो गए.. चाहत तेरी अजीब सी बला है.. फांगकर हर सरहद के पार हो गए.! नाराज़गी की वजह बताने क्या गया.. वो उल्टा मुझ पर हमलावार हो गए.. सहते रहे हर इल्ज़ाम उनके हंसकर.. हम बिना खता किए कसूरवार हो गए.! मज़ाक में भी सच जो बोल दिया मेंने.. मेरी गर्दन पर मेरे दोस्त सवार हो गए.. अच्छा है नज़र में शर्म अभी हे कुछ बाकी.. इंसानी रिश्ते वर्ना आज़ सारे बेकार हो गए.! चार दिन की लेकर आए थे हम जिंदगी.. दो दिन मे ही इसके मसले हजार हो गए.. उलझता ऐसा गया ख्वाबों की उलझन में.. अब तो नींद से मेरे ख्वाब बेदार हो गए.! #mkmssaq ©Shahzad Ahmed Qureshi #Foggy #शायरी #कविता #जिंदगी #Morning #mkmssaq #