बिखरते-संभलते जिए जा रहे हैं, और जाम, गमों का, पिए जा रहे हैं। शिकायत ज़माने की, तोहमत, बलाएं, सब अपने ही सर पे लिए जा रहे हैं। जो कर न सके और कोई किसी से, हम ऐसी मोहब्बत किए जा रहे हैं। बस उनके लिए मांगते हैं दुआएं, एक वो हैं कि ज़ख्म दिए जा रहे हैं, फ़रेबी सनम से मिले ज़ख्म जितने, एक हम भी अजब हैं सिए जा रहे हैं। घड़ी दो घड़ी के मिलन की प्रतीक्षा, हम बरसों बरस से किए जा रहे हैं। ✍️ संभलते-संभलते... #प्रेम #love #unconditionallove #ghazal #संभलते #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi