रोज़ लिखता हूं ख़त तुम्हे फ़िर उन्हें फाड़ देता हूं सोचता हूं ग़र तुम्हे भेज दिए तो ज़वाब दोगी क़्या इंतजार मे कही अंधा न हो जाऊं बिना ज़वाब पढ़े कही मर ना जाऊं तो कही तुम ख़फा ना हो जाओ इसी चलते मे ख़त लिख फाड़ देता हूं पर हां कुछ ख़त है जो फाड़े नही जिसमें सिर्फ तुम्हारी बातें लिखी है वो क़िस्से वो वादे लिक्खें जो कभी हुए बस उन्हें ही पढ़ मुस्कुरा लेता हूं लफ्ज़ #shayari#tum#baate#kalakash#nojotohindi