इस बिल्डिंग से पहले यहाँ पर एक घर हुआ करता था, कई दिलों का एक छोटा सा, संसार हुआ करता था, मटके का पानी, आग की अँगीठी ,आँगन में शोर हुआ करता था, नीम और आम की छाँव में, मन भाव विभोर हुआ करता था, इस बिल्डिंग से पहले यहाँ एक घर हुआ करता था. मिट्टी की खुशबू सब ओर,और पानी का कुँवा हुआ करता था, हँसी के ठहाकों के खेल, खेत खलियानों में धुआँ हुआ करता था, इस बिल्डिंग से पहले यहाँ एक घर हुआ करता था. जिम्मेदारी निभाने का शौक था, कोई स्टेटस नही हुआ करता था, हम सबसे मिलने जाते थे, कोई फेसबुक नही हुआ करता था. इस बिल्डिंग से पहले यहाँ एक घर हुआ करता था, कई दिलों का एक छोटा सा संसार हआ करता था. #पुरानी यादें#