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गीत: नेह नीर गीत आज फिर गा दे कोई। दिवस पुराने ला

गीत: नेह नीर

गीत आज फिर गा दे कोई।
दिवस पुराने ला दे कोई॥

गुमसुम बैठी हुई कथाएं।
आवारा हो रही हवाएं।
नागफनी की चाहत लेकर।
मरुथल में खोती धाराएं॥

उखड़ी साँस चला दे कोई।
गीत आज फिर गा दे कोई॥

मौसम भी है रूठा-रूठा।
दिखा रहे हैं फूल अँगूठा।
कलियाँ भी मुरझाई बैठीं।
तरुवर दिखते ठूठा-ठूठा॥

फिर से रास रचा दे कोई।
गीत आज फिर गा दे कोई॥

दिनकर बाबा स्वेद बो रहे।
बादल भी निस्तेज हो रहे।
बूँदें उड़ती नील गगन में।
धरती के अरमान सो रहे॥

नेह नीर बरसा दे कोई।
गीत आज फिर गा दे कोई॥

©दिनेश कुशभुवनपुरी
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