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|| श्री हरि: || 50 - जागरण 'हुम्मा! हुम्मा!' गाय

|| श्री हरि: ||
50 - जागरण


'हुम्मा! हुम्मा!' गायें बहुत रात पहले ही पुकारने लगती हैं। बछड़े गोष्ठ से भागकर द्वार पर आ जुटते हैं। मैया को लगता है कि सब उसके लाल को जगाना चाहते हैं।


कन्हाई सो रहा है। दूध से उजले पलंग पर यह नीलम की सुकुमार मूर्ति जैसा इसके इधर-उधर अलस पड़े लाल - लाल कर - चरण। अलकें मुख पर घिर आयी हैं। झीना पीत पट मैया ने उढ़ा दिया है इसे। बड़ी - बड़ी पलकें बंद हैं।
anilsiwach0057

Anil Siwach

New Creator

|| श्री हरि: || 50 - जागरण 'हुम्मा! हुम्मा!' गायें बहुत रात पहले ही पुकारने लगती हैं। बछड़े गोष्ठ से भागकर द्वार पर आ जुटते हैं। मैया को लगता है कि सब उसके लाल को जगाना चाहते हैं। कन्हाई सो रहा है। दूध से उजले पलंग पर यह नीलम की सुकुमार मूर्ति जैसा इसके इधर-उधर अलस पड़े लाल - लाल कर - चरण। अलकें मुख पर घिर आयी हैं। झीना पीत पट मैया ने उढ़ा दिया है इसे। बड़ी - बड़ी पलकें बंद हैं। #Books

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