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सोचता हूँ ये पहाड़ चढ़ जाऊँ सोचता हूँ मैं जाग जाऊँ

सोचता हूँ ये पहाड़ चढ़ जाऊँ
सोचता हूँ मैं जाग जाऊँ
सोचता हूँ कुछ कर जाऊँ जिन्दगी में मैं भी तरक्की
मगर शर्दी की मार से सोचता हूँ क्यों न रजाई ओड़ जाऊँ सोचता हूँ
सोचता हूँ ये पहाड़ चढ़ जाऊँ
सोचता हूँ मैं जाग जाऊँ
सोचता हूँ कुछ कर जाऊँ जिन्दगी में मैं भी तरक्की
मगर शर्दी की मार से सोचता हूँ क्यों न रजाई ओड़ जाऊँ सोचता हूँ