परिवेश क्या बदला, कायदे बदल गये 21वी सदी क्या आई मायने बदल गये बदला है स्वरूप कवि की कलम बदल दी भावनाओ की हत्या कर शब्दाबली रट ली कवि ने सोचा होगा वो लेख से सोच नई लाएगा ना की पाठक प्रतिशत की होड़ में अर्थ भूल जायेगा उद्देश्य भी रट लिया मगर अपनाना भूल गये 21वी सदी क्या आई मायने बदल गये मायने बदले सो बदले साहित्य को कारोबार बना दिया झूठे सच्चे वादे कर रूठें को यूँही मना लिया रट्टू नहीं बनना पड़ता अगर चरित्र में उतार लेते सच्चे शिष्य बनकर हर गलती सुधार लेते मगर प्रतिस्पर्धा है यंहा पेशे की गर्व से क़ुबूल गये 21वी सदी क्या आई मायने बदल गये #moderneducation