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सोचा था तुम हो गर कोई गिला नहीं, तुमसे हँसी कोई मि

सोचा था
तुम हो गर कोई गिला नहीं,
तुमसे हँसी कोई मिला नहीं।
रूठो कभी तो मनाऊंगा,
प्यार की सरगम गाऊंगा।।



ये गीत गमी जो गाता हूं,
मत सोचो मुस्कुराता हूं।
ये अश्क छुपे है शोलो से,
तूफानों से ओलो से
सोचा था सूखे बंजर में
मैं फिर से हरियाली लाऊंगा। #सोचा_था
सोचा था
तुम हो गर कोई गिला नहीं,
तुमसे हँसी कोई मिला नहीं।
रूठो कभी तो मनाऊंगा,
प्यार की सरगम गाऊंगा।।



ये गीत गमी जो गाता हूं,
मत सोचो मुस्कुराता हूं।
ये अश्क छुपे है शोलो से,
तूफानों से ओलो से
सोचा था सूखे बंजर में
मैं फिर से हरियाली लाऊंगा। #सोचा_था