ज, से जमा + होते जा रहे है जख्म, ऐ खुदा घ से घटा- का कोई तो सवाल ? बता दे, तकलीफे तो बढ़ती जा रही है कई × गुना, बाट सके दर्द हम अपना ऐ भाग ÷ उसका कोई हल बता दे, जरुतो का तो कम है ब्याज, लेकिन बढ़ जाए खुशिया प्रतिशत % में, ऐ मेरे मालिक इसका तो कोई हल बता दे.... Written:- By Umesh kumar #ज़िन्दगी का ब्याज