क्या रखा इन हवाओं में क्या कहे, यहां तो हर ओर कातिल फिज़ाओं में छुपे, नज़र हटी और दुर्घटना घाटी, हर कोई मिलेगा पीठ में खंजर घोपे खड़े, इंसान ही इंसान के पीछे हैं पड़े, इंसानों में ना अब ज़रा इंसानियत ही बचे। क्या रखा इन हवाओं में क्या कहे। #@#रुचि हिमांशु मिश्रा ©Ruchi Himanshu Mishra खंजर #JusticeForNikitaTomar