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White क्यों न आज इस जिंदगी को जिया जाए, खुलकर थोड

White क्यों न आज इस जिंदगी को जिया जाए, 
खुलकर थोड़ा हंसना, तो खुलकर थोड़ा रोया जाए, 
हाँ, क्यों न आज इस जिंदगी को जिया जाए। 

गिरते- उठते, लड़ते- संभलते, 
क्यों न आज इस जिंदगी को परखा जाए। 
क्या एक ही वक्त में ठहर कर रह जाना, 
आज नदियों सा अविरल बहा जाए। 

कब तक अंधेरों से ही घिरे रहोगे , 
आज बाहर निकल सूरज की रोशनी में नहाया जाए। 
हमेशा दूसरों की क्यों सुने, 
अपने दिल की सुन आज कुछ नया किया जाए। 

यह समय किसी के लिए नहीं रूकता, 
तो क्यों न अब से समय के साथ ही चल दिया जाए। 
मैं भी जिंदा हूँ, 
आज खुलकर सांस ले खुद को यह अहसास दिलाया जाए। 

अपनी छुपी को तोड़, 
आज से सही के लिए अपनी आवाज को उठाया जाए। 
जो छोड़ गए मुझे वह मेरे थे ही नहीं, 
उनको भूलाकर कुछ इश्क़ खुद से ही किया जाए। 
क्यों न आज इस जिंदगी को जिया जाए। 
    - नेहा प्रसाद✍️

©Neha
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