कश्ती जाने किस तुफां से जा टकरायी हैं जकड़ा हैं यूँ लहरों ने इसको फिर भी ना घबरायी हैं सर्द हवाओ ने भी अब साथ और रुख हैं मोडा कुछ कश्ती को पैगाम वो देती कि तूफान बहुत है तू थक जायेगी कँही टूट गयी तो बिखर जाओगी फिर कश्ती को भी रोना आया आंसू पोछ लिए फिर झट से बोल उठी वो दृढ़ता के साथ तूफान का ना डर हैं मुझको ना टूट बिखर जाने का हैं मैं कश्ती हूँ मंजिल है शाहिल लहरों से टकराऊंगी और तूफान से नहीं डरती मैं फिर कश्ती ने कदम बढाये देख तूफां का दानव आँखों को ही भींच लिया फिर एक अन्दर से आवाज हैं आयी क्यो तुझको तूफान का डर हैं तेरी अन्दर का तुफां इस तूफां से क्या कम हैं कश्ती फिर तुफान से जा टकरायी तूफान दानव ने कश्ती को कई दफा गिराया जख्मो से घिरी कश्ती भी अब कश्ती फिर से संभल खड़ी जा तूफान से टकरायी अब तूफां भी कुछ हारा सा हैं कश्ती की कोशिश अंत में लायी हैं रंग तुफां को हरा कर वो शाहिल से जा टकरायी हैं #HoneyDwivedi..... #beautifulstory .....ek kashti kii kahani....