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मौसम में बदलाव...परिवर्तन..निरन्तर चलता रहता है!प्

मौसम में बदलाव...परिवर्तन..निरन्तर चलता रहता है!प्रकृति में मौसम का,ऋतु का परिवर्तन जैसे ओढ़ा देता है बर्फ की चादर पेड़ों को,घरों को,रास्तों को,वैसा ही बदलाव आता है कभी-कभी रिश्तों में,संबंधों में,जो ला देता है बर्फ-सा सीलापन, ख़त्म कर देता है सारी नज़दीकियों की गर्मी को, दबा देता है सभी इच्छाओं को,भावनाओं को, एक मोटी बर्फीली 'चुप्पी' में...वो चुप्पी की सिला ...कभी टूटती है, कभी नहीं टूटती...पर इन्तज़ार सदैव बना रहता है.....तपते सूर्य के निकलने का....बर्फ़ के पिघलने का...!
(गद्य-शैली)
🌹 'चित्र बोलते हैं' की दूसरी कड़ी आपके सामने प्रस्तुत है। चित्र को वर्णित करते हुए रचना लिखनी है। चित्र का वर्णन आप कैसे करेंगे यह पूर्णतया आप पर है। #चित्रबोलतेहैं से हमें टैग ज़रूर करें तभी हमारी टीम आपकी रचनाओं तक पहुंच पाएगी।
रचना किसी भी विधा में हो सकती है। अगर रचना बड़ी हो रही हो तो आप अनुशीर्षक में भी रचनाओं को लिख सकते हैं।

आभार!

विशेष नोट - प्रथम कड़ी, द्वितीय एवं तृतीय कड़ी का सामूहिक परिणाम साथ मे प्रकाशित करेंगे। प्रथम कड़ी में लिखी गयी अधिकांश रचनाओं तक हम पहुंच गए हैं, कुछ रचनाएं अभी भी बची हैं। शीघ्र ही हम उन रचनाओं को भी पढ़ेंगे। 

० चित्र स्रोत : फोटोग्राफर किरीत पंत (kireet.pant) द्वारा खींची गयी तस्वीर
मौसम में बदलाव...परिवर्तन..निरन्तर चलता रहता है!प्रकृति में मौसम का,ऋतु का परिवर्तन जैसे ओढ़ा देता है बर्फ की चादर पेड़ों को,घरों को,रास्तों को,वैसा ही बदलाव आता है कभी-कभी रिश्तों में,संबंधों में,जो ला देता है बर्फ-सा सीलापन, ख़त्म कर देता है सारी नज़दीकियों की गर्मी को, दबा देता है सभी इच्छाओं को,भावनाओं को, एक मोटी बर्फीली 'चुप्पी' में...वो चुप्पी की सिला ...कभी टूटती है, कभी नहीं टूटती...पर इन्तज़ार सदैव बना रहता है.....तपते सूर्य के निकलने का....बर्फ़ के पिघलने का...!
(गद्य-शैली)
🌹 'चित्र बोलते हैं' की दूसरी कड़ी आपके सामने प्रस्तुत है। चित्र को वर्णित करते हुए रचना लिखनी है। चित्र का वर्णन आप कैसे करेंगे यह पूर्णतया आप पर है। #चित्रबोलतेहैं से हमें टैग ज़रूर करें तभी हमारी टीम आपकी रचनाओं तक पहुंच पाएगी।
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आभार!

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० चित्र स्रोत : फोटोग्राफर किरीत पंत (kireet.pant) द्वारा खींची गयी तस्वीर