[READ IN CAPTION] हफ़्ता मोहब्बत वाला हो रखा चारों, तरफ हो- हल्ला...! चल रहा, हफ़्ता मोहब्बत वाला...! गढ़़े जा रहे रोज-रोज, नये किस्से..! अंश जिनका है तू ,प्यार और परवाह कब आयेगें उनके हिस्से...! पहला आलिंगन,पहला चुंबन सब भुला बैठे...! पिता के जूते पांव में,क्या आने लगे,अपनी दुनियां सजा बैठे...!!