नाम शौहरत से उठ के आना, तब बात होगी, रूप रंग से उठ के आना, तब बात होगी, दिल, और दिल की बात करना, तब बात होगी, मेरी हैसियत से उठ कर, इंसानैयत पर आना, तब बात होगी, मुखोटों से निकाल कर, असलियत पर आना, तब बात होगी, झूंठ और सच में फर्क कर के आना, तब बात होगी, मेरे बात को समझ सको, तब बात होगी, भीड़ से हट के आना, तब बात होगी, फरेब छोड़ के आना, तब बात होगी, इस समाज से उठ कर आना, तब बात होगी। - वैवस्वत सिंह (Vaivaswat Singh)। Suman Zaniyan