माचिस की तिली ने क्या खूब कहा - दोश मेरा नहीं है कि मैं सब कुछ जला देती हूं,, दोश मेरा नहीं कि मैं सब कुछ तबाह भी कर देती हूं, मैं तो पेड़ का टूकडा थी, लेकिन मुझे जलाने लायक किसी इंसान ने बनाया, अंजाम उस इंसान ने किसी अपने को ही श्मशान में तिली से जलाया ,,, मैं तो अब भी पेड़ की वही लकड़ी हूं, पता नहीं इस इंसान ने मेरे सर पर ये क्या चिपकाया, वैसे गलती मेरी फिर भी नहीं है, अब जो भी मेरा रुप बनाया, मैंने उसे अपना फर्ज बनाया, फर्क सिर्फ इतना ही है कि,, किसी गरीब ने मुझे अपने घर का उजाला समझा, तो किसी मंदिर के पूजारी ने दिया जलाया, ©S.K.T #माचिस_की_तिली