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मैं हँसता हूँ, जब सबके बीच होता हूँ। मैं रोता हू

 मैं हँसता हूँ, 
जब सबके बीच होता हूँ। 
मैं रोता हूँ, 
जब अकेला होता हूँ। 
सबका साथ है, 
फिर भी लगता नहीं कोई पास है। 
मैं वो झरना हूँ
जो चट्टानों से चोट खाकर भी,
 मैं हँसता हूँ, 
जब सबके बीच होता हूँ। 
मैं रोता हूँ, 
जब अकेला होता हूँ। 
सबका साथ है, 
फिर भी लगता नहीं कोई पास है। 
मैं वो झरना हूँ
जो चट्टानों से चोट खाकर भी,