आज मैं हमारे घर के पास पार्क में गया तो वहां कि दरख्ते(पेड़) देखने में सुकून का एहसास दे रहे थी। पर बात आई वहां के माहौल कि। वहां बच्चें, बूढ़े. महिलाएं, बहने और लगभग सब श्रेणी के लोग वहां मौजूद थे। सब माहौल को अच्छी तरह से सजा रहे थे। पर कमी आई वहां के छोटे बच्चे और तकरीबन हमारी उम्र के उभरते हुए नौजवानो में। वो बिना किसी बंदिशों के वहां अपनी मर्जी से मतलब बिना किसी का मान रखते हुए। बेतूकि हरकते कर रहे थे। हालांकि उन्होंने किसी को सीधे तरीके से निशाना नहीं बनाया बस एक अजीब तरीके से अपनी अपनी हरकतों को अंजाम दे रहे थे। आप समझ ही गए होगे, अगर नहीं समझे तो बताता हूँ कि जो हमारी बहनें वहां घूमने के लिए आई थी उनके लिए उन मनचलो के मन की मानसिकता कि बात कररहा हूँ। तो ये सब देखने में बिल्कुल मानवता का परिचय नहीं दे रहा था और बड़ा बुरा और अजीब लग रहा था। इसका कारण भी बताता हूँ मैं आपको, जो मैने काफी बारीकी से सोचा। उनके मां-बाप। अब आप ही सोचिए जब हमारे मां-बाप हमें एक सीमित दायरे में रहना सिखएगें और हमें शुरू से अच्छे संस्कार देगें और वक्त पर ध्यान देगें तो वो बच्चा हमेशा अच्छे रस्ते पर चलने की कोशिश करेगा और उसको अपने बडों का डर भी रहेगा। पर जो मां-बाप बिलकुल अपने बच्चों के बारे में नहीं सोचते और उनको कोई फिक्र नहीं की बच्चा क्या कररहा है तो स्वाभाविक बात है बच्चे का डर भी खत्म हो जाएगा। और वो गलत रास्ते पर चलना शुरू करदेगा। क्योंकि वो बच्चा है उसे अभी सही गलत का ज्ञान नहीं है। और आप सबने अपने आस-पास यह चीज जरूर अनुभव कि होगी। तो अगर हमें अपने समाज का देश का माहौल अच्छा बनाना है और तरक्की करनी है तो इसे आप अपना सकते हैं और अगर मेरे विचार अच्छे लगे तो आप सबको जगाईए और ये संदेश हर जन तक पहुंचाने कि कोशिश करें। शुक्रिया अदा।