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गवारा ही नहीं ये बादी-ए-रंगी-ए-गुलजार हमें जबकि

गवारा ही नहीं ये बादी-ए-रंगी-ए-गुलजार  हमें 
जबकि पलकों पर रखती है गुल-ए-बहार हमें 

बोशे जाम के और भी दिलचस्प लगतें हैं 
शव-ओ-रोज होता जब कौई इन्तजार हमें 

दहका हुआ है जिस शोले से अब्र का दामन 
उस बर्क से रह्ती है दरकिनार हमें 

अंकित शर्मा #Gazals#shayri#ankitsharma
गवारा ही नहीं ये बादी-ए-रंगी-ए-गुलजार  हमें 
जबकि पलकों पर रखती है गुल-ए-बहार हमें 

बोशे जाम के और भी दिलचस्प लगतें हैं 
शव-ओ-रोज होता जब कौई इन्तजार हमें 

दहका हुआ है जिस शोले से अब्र का दामन 
उस बर्क से रह्ती है दरकिनार हमें 

अंकित शर्मा #Gazals#shayri#ankitsharma
ankitsharma2105

Ankit Sharma

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