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।।पगले सपने ।। धूप ढले, संदली शाम में छत पर रखे

।।पगले सपने ।।

धूप ढले, संदली शाम में 
छत पर रखे सब गमलों में
पानी लगाते हुए,मैं 
मिट्टी में बो देती हूँ ।
अपने सपनों के बीज
और खूब हरियाली 
सहेज लेती हूँ । #muktamusafirparinde #मुक्तामुसाफिरपरिंदे
।।पगले सपने ।।

धूप ढले, संदली शाम में 
छत पर रखे सब गमलों में
पानी लगाते हुए,मैं 
मिट्टी में बो देती हूँ ।
अपने सपनों के बीज
और खूब हरियाली 
सहेज लेती हूँ । #muktamusafirparinde #मुक्तामुसाफिरपरिंदे