आवाज़ आती है दिल के कोने से, जागती हो क्यूँ कतराती हो सोने से..! बेबस आँखें डरती है अब सपने सँजोने से, हक़ीक़त लगने लगे थे ख़्वाब उसके होने से..! कम्बख़त कमज़र्फ निकला डरते थे जिसे खोने से, हक़ीक़त का सामना करो क्या फ़ायदा अब रोने से..! ज़िंदगी ख़तम तो नही होती किसी के न होने से, बुरा ख़्वाब था वो आँखों न रोक सपने सँजोने से..! आवाज़ आती है दिल के कोने से, ग़म कम हो जाते सिरहाने रख सोने से..! ♥️ Challenge-567 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।