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ये दौर नहीं है सतयुग का हाँ जनाब कलयुग चल रहा है

ये दौर नहीं है सतयुग का
हाँ जनाब कलयुग चल रहा है 
राम है जिस नर में  वो हर रोज यहाँ पिस रहा है। 
कैसे पूरा होगा राम राज्य का सपना पूरा 
यहां तो अब हर इंसान में राक्षस बसर कर रहा है,
बचा नहीं पाते हम अपने देश की बेटियों की इज्जत को ,
सरकारी विभागों में शोर हैं कि देश दिन रात तरक्की कर रहा है,
सीता बसी हैं जिस नारी में यहाँ 
हर कदम पर कोई राक्षस उसका पीछा रहा ,
सौदे बड़े सस्ते है यहाँ गरीब की बेटी की इज्जत के 
आजकल सरकारी कोर्ट में कागजों के बदले इनसाफ जो मिल रहा है,
बलात्कार होता नहीं सिर्फ एक बार,
वही सवाल बार-बार यहाँ कभी आँखो कभी 
जुबान से अपनी हर पल हर शख्स कर रहा हैं,
बची नही इस युग में हिम्मत कुछ अब
 शायद सच्चाई की सच कहा सहाब हाहा झूठों का दौर चल रहा है,
मुमकिन नहीं अब राम बनकर अपनी सीता को वापस अयोध्या ला पाना,
शायद तभी हर कोई यहाँ खुद को बस रावण कर रहा है, 
हा जानते है ना जीत पाएंगे झूठी दिखावे वाले मर्द 
मर्दानगी ताकत से भी इस युग में भी
 एक स्त्री को शायद तभी हासिल करने 
को प्रमे के नाम पर आजकल देह व्यपार कर रखा हैं,
अब कभी-कभी लगता है कि नही हैं 
कोई भी बुराई रावण बनाने में अगर 
रक्षा करने को अपने घर की लक्ष्मी की 
श्री राम ने रूप रावण का धारण कर रखा हैं 
ये दौर नहीं है सतयुग का हाँ जनाब कलयुग चल रहा है!

©inner peace poet ये दौर नहीं सतयुग का हाँ कलयुगये दौर नहीं है सतयुग का
हाँ जनाब कलयुग चल रहा हैं... by @inner_peace.poet #ishqshayari #urdusadshayari अब्र (Abr) Anshu writer Sircastic Saurabh Atri Vikas " Sagar " नीर RUPENDRA SAHU "रूप"
ये दौर नहीं है सतयुग का
हाँ जनाब कलयुग चल रहा है 
राम है जिस नर में  वो हर रोज यहाँ पिस रहा है। 
कैसे पूरा होगा राम राज्य का सपना पूरा 
यहां तो अब हर इंसान में राक्षस बसर कर रहा है,
बचा नहीं पाते हम अपने देश की बेटियों की इज्जत को ,
सरकारी विभागों में शोर हैं कि देश दिन रात तरक्की कर रहा है,
सीता बसी हैं जिस नारी में यहाँ 
हर कदम पर कोई राक्षस उसका पीछा रहा ,
सौदे बड़े सस्ते है यहाँ गरीब की बेटी की इज्जत के 
आजकल सरकारी कोर्ट में कागजों के बदले इनसाफ जो मिल रहा है,
बलात्कार होता नहीं सिर्फ एक बार,
वही सवाल बार-बार यहाँ कभी आँखो कभी 
जुबान से अपनी हर पल हर शख्स कर रहा हैं,
बची नही इस युग में हिम्मत कुछ अब
 शायद सच्चाई की सच कहा सहाब हाहा झूठों का दौर चल रहा है,
मुमकिन नहीं अब राम बनकर अपनी सीता को वापस अयोध्या ला पाना,
शायद तभी हर कोई यहाँ खुद को बस रावण कर रहा है, 
हा जानते है ना जीत पाएंगे झूठी दिखावे वाले मर्द 
मर्दानगी ताकत से भी इस युग में भी
 एक स्त्री को शायद तभी हासिल करने 
को प्रमे के नाम पर आजकल देह व्यपार कर रखा हैं,
अब कभी-कभी लगता है कि नही हैं 
कोई भी बुराई रावण बनाने में अगर 
रक्षा करने को अपने घर की लक्ष्मी की 
श्री राम ने रूप रावण का धारण कर रखा हैं 
ये दौर नहीं है सतयुग का हाँ जनाब कलयुग चल रहा है!

©inner peace poet ये दौर नहीं सतयुग का हाँ कलयुगये दौर नहीं है सतयुग का
हाँ जनाब कलयुग चल रहा हैं... by @inner_peace.poet #ishqshayari #urdusadshayari अब्र (Abr) Anshu writer Sircastic Saurabh Atri Vikas " Sagar " नीर RUPENDRA SAHU "रूप"