कोई भी लम्हा नही ऐसा,जिसमे तुम याद नही आते, अपने दिल का हाल भी हम किसी को बयां नही कर पाते, नहीं जानते तुम , तुम्हारी एक आवाज़ सुनने को कैसे हम उस असहाय मछली की तरह फङफङाते है जिसके लिए बिना जल के जीना सम्भव नही,जानते हैं तुम्हारे दिल में भी कहीं न कहीं हमारे लिए इश्क है, फिर सोंचते है तुम्हें पाना तो मुमकिन नहीं, और तुम्हें अपना दिल-ऐ-हाल बयां करके तुम्हें और तकलीफ मे नहीं देख सकते. #तुम्हें भूल नहीं पाते #