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सौ र्दद है इस सिने में, क्या रखा है घूट-घूट कर जिन

सौ र्दद है इस सिने में, क्या रखा है घूट-घूट कर जिने में।
हजारों ख्वाहिशे थी इस दिल में,
मगर बिन तेरे दिल लगता नहीं महफिल-ए-मदीने में।

©रहमत-ए-भारत
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