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कर्पूरगौरं करुणावतारं, कर्पूरगौरं करुणावतारं, संस

कर्पूरगौरं करुणावतारं,

कर्पूरगौरं करुणावतारं, संसारसारम् भुजगेन्द्रहारम्।
सदावसन्तं हृदयारविन्दे, भवं भवानीसहितं नमामि॥

इस मन्त्र में देवादिदेव भगवान भोल नाथ की स्तुति की गई हैं इसका अभिप्राय यह हैं की कर्पूरगौरं – भगवान भोलेनाथ गौरवर्ण वाले , करुणावतारं – करुणानिधि करुणा के सागर हैं , संसारसारम् सम्पूर्ण सृष्टि के सार हैं भुजगेन्द्हारम्- शेषनाग को धारण करने वाले , सदावसन्तं हृदयारविन्दे, भवं भवानीसहितं नमामि – वे सदाशिव भगवान माँ पार्वती सहित मेर हृदय में निवास करते हैं उन करुणानिधि को मेरा बारम्बार प्रणाम |

इसका अभिप्राय यह हैं की भगवान  भोलेनाथ गौरवर्ण वाले , करुणानिधि करुणा के सागर हैं , सम्पूर्ण सृष्टि के सार हैं शेषनाग को धारण करने वाले वे  सदाशिव भगवान माँ पार्वती सहित मेर हृदय में निवास करते हैं उन करुणानिधि को मेरा बारम्बार प्रणाम |

©Aalok Vishwakarma
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