आज़ाद हिन्दोस्तान का गाँधी सर्वोपरी है, तुम क़ातिलों के यारो तुमको ख़बर ही क्या है ا ताजों-ओ-तख़्त को जिसने ठुकरा के चल दिया था, वो कैसा मेहजबीं था तुमको क़दर ही क्या है ا सादगी़ का हासिल उसकी अदा से सीखो, जो नौलखा पहन लो तुमको ज़बर ही क्या है ا सख़्त कड़ी धूप मे जो छांव दे ना मेवा, मुझको बताओ तुम तो वो शजर शजर ही क्या है ا जो चंद ताजिरों के हाथों बिकी़ हुई है, ऐसी जमहूरियत की सहर सहर ही क्या है اا सर्वोपरी - most important, मेहजबीं- bright forehead, ज़बर- superior, शजर- tree, ताजिर- businessman, जमहूरियत- democracy सहर- morning #hqurdupoetry #hqdidi #yqpolitics #yqindia #yqgandhi #yqbesthindiquotes #newwritersclub #yqdeshbhakti