शहर में हूँ, हूँ कही इन उजालों के बीच, हर कोई गुम है कही न कही , गम का यहाँ कोई पता नही , चेहरे पर जो मुखोटे सजे है ख़ुशियाँ का तो यहाँ जोर - शोर है पर वो भी पता नही गम के है या खुशियों के चेहरे पर जो मुखोटे सजे है! #शहर_में_हूँ #hindipoem #Omkarsharma omkarsharmablog.wordpress.com