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जितना भी कहूं कम होगा जितनी भी तारीफ करूँ पर्याप्त

जितना भी कहूं कम होगा
जितनी भी तारीफ करूँ पर्याप्त नहीं होगा l

धड़कता है ये धड्कन बनकर
देश के करोड़ों लोगों में, 
बहता है ये लहू बनकर 
इसे चाहनेवालों के रगों में l

सरल है भाषा ये 
बोलने में है आसान, 
मात्र बोली नहीं ये बल्की 
पूरे देश की है पहचान l

हिन्द देश के हम निवासी 
हिंदी है हमारी शान, 
इसके पिरोए "एकता" माला में 
बंधा है अपना हिंदुस्तान l हिन्दी के सम्मान में 
जितना भी कहूं कम होगा
जितनी भी तारीफ करूँ पर्याप्त नहीं होगा l

धड़कता है ये धड्कन बनकर
देश के करोड़ों लोगों में, 
बहता है ये लहू बनकर 
इसे चाहनेवालों के रगों मेंl
जितना भी कहूं कम होगा
जितनी भी तारीफ करूँ पर्याप्त नहीं होगा l

धड़कता है ये धड्कन बनकर
देश के करोड़ों लोगों में, 
बहता है ये लहू बनकर 
इसे चाहनेवालों के रगों में l

सरल है भाषा ये 
बोलने में है आसान, 
मात्र बोली नहीं ये बल्की 
पूरे देश की है पहचान l

हिन्द देश के हम निवासी 
हिंदी है हमारी शान, 
इसके पिरोए "एकता" माला में 
बंधा है अपना हिंदुस्तान l हिन्दी के सम्मान में 
जितना भी कहूं कम होगा
जितनी भी तारीफ करूँ पर्याप्त नहीं होगा l

धड़कता है ये धड्कन बनकर
देश के करोड़ों लोगों में, 
बहता है ये लहू बनकर 
इसे चाहनेवालों के रगों मेंl
darshanblon1957

Darshan Blon

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