नुमाइश है इक भरे बदन की कोई खरीदार चाहिए........ बाजार लगा है जिस्म का यहां तिजारतदार चाहिए........... गिद्धों को शिकायत है कि उन्हें बुलाया नहीं गया......... चील कौओं की जमात में कोई कसर नहीं है। बैठा है कोने में एक सेठ बड़ा मोटा बोली लगाने में उसका दिल खोटा सोंचता है कुछ और नहीं तो मुफ्त की बोटी हीं मिल जाये .......... बस एक बार यहां से चील कौवों की भीड़ तो हट जाये । जो बिकने को तैयार है वो जोरों से मुस्कुरा रहा है ...... किसी कसाई की वो बेसब्री से बाट जोह रहा है नोचने वाले से तो काट देने वाला बेहतर है बंद आँखों से वो दिल हीं दिल में सोंच रहा है बस बिक के कट हीं जाये यहां पर , बंद आंखों से बाजार से गुजारिश कर रहा है।।